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Namami Gange Pariyojna क्या है:जानिए संपूर्ण जानकारी

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना Namami Gange Pariyojna है।



भारत में नदियाँ केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि संस्कृति और सभ्यता की आधारशिला रही हैं। इनमें गंगा नदी का स्थान सबसे ऊँचा है। गंगा को माँ का दर्जा दिया गया है और करोड़ों भारतीयों की आस्था इस पवित्र नदी से जुड़ी हुई है। किंतु तेज़ी से बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जनसंख्या दबाव के कारण गंगा की धारा प्रदूषित और अवरुद्ध होती जा रही थी। इसी पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Pariyojna) की शुरुआत की।

यह केवल एक स्वच्छता अभियान नहीं, बल्कि गंगा नदी को अविरल और निर्मल बनाए रखने की दिशा में चल रहा अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम है।

नमामि गंगे परियोजना गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों की सफाई, संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई एक समग्र मिशन योजना है। इसे जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) लागू कर रहा है।

इस योजना में गंगा बेसिन के पाँच राज्यों – उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल – को प्राथमिकता दी गई है, क्योंकि गंगा का अधिकांश भाग इन्हीं राज्यों से होकर बहता है।


Namami Gange Pariyojna के प्रमुख उद्देश्य:

  1. गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करना

    • सीवेज और औद्योगिक कचरे का निस्तारण।
    • अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग।
  2. गंगा की अविरल धारा बनाए रखना

    • अवैध रेत खनन और अतिक्रमण पर नियंत्रण।
    • जल प्रवाह को संतुलित रखना।
  3. नदी तट का सौंदर्यीकरण और विकास

    • घाटों और शवदाह गृहों का आधुनिकीकरण।
    • नदी तट पर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा।
  4. जलीय जीवन और जैव विविधता का संरक्षण

    • गंगा डॉल्फ़िन, कछुए, मछलियाँ और अन्य प्रजातियों की सुरक्षा।
    • गंगा में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना।
  5. जनभागीदारी और जागरूकता

    • गंगा ग्राम योजना के माध्यम से ग्रामीणों को जोड़ना।
    • छात्र, एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं की भागीदारी।


Namami Gange Pariyojna के अंतर्गत प्रमुख कार्य:

1. सीवेज प्रबंधन

  • 350 से अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण या नवीनीकरण।
  • प्रतिदिन 6,000 MLD से अधिक गंदे पानी को शुद्ध करने की क्षमता विकसित।

2. औद्योगिक अपशिष्ट नियंत्रण

  • गंगा बेसिन की 1,200 से अधिक औद्योगिक इकाइयों की ऑनलाइन निगरानी।
  • Zero Liquid Discharge Technology लागू की गई।

3. घाट और शवदाह गृह विकास

  • वाराणसी, हरिद्वार, प्रयागराज और पटना सहित कई शहरों में घाटों का नवीनीकरण।
  • शवदाह गृहों को लकड़ी की बजाय CNG व इलेक्ट्रिक आधारित बनाया गया।

4. नदी सतह की सफाई

  • नदी सतह पर तैरते कचरे को हटाने के लिए River Surface Cleaning Machines लगाई गईं।
  • प्लास्टिक और पॉलीथिन पर सख्ती।

5. वनरोपण

  • गंगा तट पर 40,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर वृक्षारोपण।
  • हरियाली से मिट्टी का कटाव रोकने में मदद।

6. जलीय जीवन संरक्षण

  • गंगा डॉल्फ़िन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर संरक्षण अभियान।
  • कछुआ पुनर्वास केंद्र और मछली संरक्षण कार्यक्रम।


गंगा ग्राम योजना:

नमामि गंगे का विशेष घटक गंगा ग्राम योजना है। इसमें गंगा किनारे बसे गाँवों को स्वच्छ और सतत गाँव (Sustainable Villages) बनाने का लक्ष्य है।

  • हर घर में शौचालय का निर्माण।
  • ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन।
  • ग्रामीणों को गंगा संरक्षण में भागीदार बनाना।


Namami Gange Pariyojna  से होने वाले लाभ:

1. पर्यावरणीय लाभ

  • गंगा का जल गुणवत्ता में सुधार।
  • जलीय प्रजातियों की संख्या में वृद्धि।

2. सामाजिक लाभ

  • स्वच्छ घाटों पर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की संख्या में वृद्धि।
  • स्थानीय लोगों में स्वास्थ्य लाभ।

3. आर्थिक लाभ

  • धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा।
  • ग्रामीणों और शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन।


Namami Gange Pariyojna की उपलब्धियाँ:

  • गंगा के कई हिस्सों में जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
  • वाराणसी, हरिद्वार और प्रयागराज जैसे प्रमुख शहरों के घाट अब अधिक स्वच्छ दिखते हैं।
  • गंगा डॉल्फ़िन और मछलियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
  • ग्रामीण स्तर पर लोगों की जागरूकता में वृद्धि हुई है।


Namami Gange Pariyojna की चुनौतियाँ:

  • परियोजना की कुछ इकाइयों का धीमी गति से कार्यान्वयन।
  • औद्योगिक इकाइयों की लापरवाही।
  • बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण का दबाव।
  • नदियों में अवैध कचरा फेंकने की प्रवृत्ति।


निष्कर्ष:

नमामि गंगे परियोजना केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चल रही ऐतिहासिक पहल है। गंगा की निर्मलता और अविरलता भारत की समृद्धि, संस्कृति और स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है।

आज आवश्यकता है कि सरकार के साथ-साथ समाज का हर वर्ग इसमें योगदान दे। गंगा को बचाना केवल सरकार का कार्य नहीं, बल्कि यह हमारी साझी जिम्मेदारी है। यदि गंगा स्वच्छ रहेगी तो आने वाली पीढ़ियाँ भी जीवनदायिनी धारा का लाभ उठा सकेंगी।


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