सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना Atal Bhujal Yojana है।
भारत में भूजल (Groundwater) कृषि, पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है। लेकिन लगातार बढ़ते दोहन, असंतुलित वर्षा वितरण और अनियंत्रित पंपिंग के कारण कई क्षेत्रों में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार ने “अटल भूजल योजना (Atal Bhujal Yojana) की शुरुआत की। यह योजना सतत जल प्रबंधन और समुदाय आधारित भूजल संरक्षण पर केंद्रित है।
अटल भूजल योजना, जिसे Atal Jal भी कहा जाता है, 25 दिसंबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर लॉन्च की गई थी। यह केंद्रीय योजना जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) द्वारा लागू की जा रही है। योजना का मुख्य उद्देश्य भूजल संसाधनों का सतत प्रबंधन (Sustainable Management) करना और जल संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों को प्रोत्साहित करना है।
Atal Bhujal Yojana के मुख्य उद्देश्य:
- भूजल स्तर में सुधार – अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्रों में जल स्तर स्थिर करना और पुनर्भरण को बढ़ावा देना।
- सामुदायिक भागीदारी – जल संरक्षण में ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
- कृषि में जल दक्षता – किसानों को ऐसी फसलों और तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना जिनमें पानी की खपत कम हो।
- डाटा आधारित प्रबंधन – भूजल से जुड़े आंकड़ों का संग्रह, विश्लेषण और उनका वैज्ञानिक प्रबंधन।
Atal Bhujal Yojana का कार्यक्षेत्र:
अटल भूजल योजना का क्रियान्वयन सात राज्यों में किया जा रहा है, जहाँ भूजल की स्थिति चिंताजनक है:
- गुजरात
- हरियाणा
- कर्नाटक
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- राजस्थान
- उत्तर प्रदेश
इन राज्यों के 78 जिलों के लगभग 8350 ग्राम पंचायतों को इस योजना में शामिल किया गया है।
Atal Bhujal Yojana की अवधि और बजट:
- अवधि: 2020 से 2025 (5 वर्ष)
- कुल लागत: लगभग 6000 करोड़ रुपये
- 50% राशि विश्व बैंक (World Bank) द्वारा ऋण के रूप में
- 50% भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित
Atal Bhujal Yojana के प्रमुख घटक:
- भूजल प्रबंधन योजनाओं का निर्माण – प्रत्येक ग्राम पंचायत में उपलब्ध जल संसाधनों का सर्वेक्षण करके योजना तैयार की जाती है।
- सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम – गांवों में जल संरक्षण के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन।
- वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर – तालाब, कुएं, चेक डैम, परकोलेशन टैंक आदि का निर्माण।
- फसल विविधीकरण – कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देना।
- निगरानी प्रणाली – भूजल स्तर की नियमित मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग।
Atal Bhujal Yojana के लाभ:
- भूजल स्तर में स्थिरता: लगातार गिरते जल स्तर को रोका जा सकता है।
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि: सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होने से किसानों की पैदावार बढ़ेगी।
- पर्यावरण संरक्षण: जल संसाधनों का संतुलित उपयोग पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखता है।
- सामुदायिक सशक्तिकरण: ग्राम पंचायतें जल प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- सतत विकास: योजना ग्रामीण क्षेत्रों में दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
Atal Bhujal Yojana से जुड़े चुनौतियां:
- जल संरक्षण को लेकर जनजागरूकता की कमी।
- कुछ क्षेत्रों में भूजल के अत्यधिक व्यावसायिक उपयोग पर नियंत्रण की कठिनाई।
- तकनीकी संसाधनों और प्रशिक्षित मानवबल की सीमित उपलब्धता।
- किसानों की फसल पद्धति बदलने में हिचकिचाहट।
Atal Bhujal Yojana सफलता के उदाहरण:
कुछ राज्यों में अटल भूजल योजना ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं। उदाहरण के लिए:
- हरियाणा के कुछ गांवों में वर्षा जल संचयन संरचनाओं के कारण जल स्तर में सुधार हुआ।
- कर्नाटक में समुदाय आधारित वाटर बजटिंग से सिंचाई के लिए जल उपलब्धता बढ़ी।
- राजस्थान में परंपरागत जोहड़ और तालाबों का पुनरुद्धार किया गया।
Atal Bhujal Yojana और सतत विकास लक्ष्य (SDGs):
यह योजना संयुक्त राष्ट्र के SDG 6 – स्वच्छ जल और स्वच्छता तथा SDG 13 – जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक है। भूजल का वैज्ञानिक प्रबंधन जलवायु परिवर्तन से निपटने और जल सुरक्षा बढ़ाने का प्रभावी उपाय है।
निष्कर्ष:
अटल भूजल योजना भारत के ग्रामीण इलाकों में भूजल संकट को हल करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह योजना केवल सरकारी प्रयासों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आम जनता की सक्रिय भागीदारी को भी महत्व दिया गया है। यदि लोग जागरूक होकर जल संरक्षण के उपाय अपनाएं, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
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