डेयरी सहकार योजना की आधिकारिक घोषणा 31 अक्तूबर 2021 को की गई थी। इसका शुभारंभ केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के माध्यम से किया। इस योजना को वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। योजना का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में सहकारी समितियों, दुग्ध संघों, स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों को वित्तीय और तकनीकी सहयोग प्रदान करना है।
Dairy Sahakar Yojana के मुख्य उद्देश्य:
- किसानों को बेहतर मूल्य दिलाना – दूध की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन को सहकारी ढांचे में लाकर उत्पादकों को न्यायसंगत मूल्य उपलब्ध कराना।
- आधुनिक अवसंरचना का विकास – दूध संग्रह केंद्र, चिलिंग प्लांट, प्रसंस्करण इकाइयां और परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करना।
- ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण – महिला स्वयं सहायता समूहों को डेयरी सहकार से जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाना।
- निर्यात बढ़ाना – भारतीय दुग्ध उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना।
- रोज़गार सृजन – गांवों में स्थायी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
Dairy Sahakar Yojana की प्रमुख विशेषताएं:
- वित्तीय सहयोग : NCDC के माध्यम से दूध उत्पादक सहकारी समितियों, डेयरी संघों और किसान समूहों को आसान ऋण और अनुदान की सुविधा दी जाती है।
- संपूर्ण मूल्य श्रृंखला पर ध्यान : दूध संग्रहण, परीक्षण, शीत श्रृंखला (Cold Chain), प्रसंस्करण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन – हर चरण में सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
- तकनीकी प्रशिक्षण : पशुपालन, पशु स्वास्थ्य, चारा प्रबंधन और गुणवत्ता सुधार के लिए किसानों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है।
- नवाचार और डिजिटल प्लेटफॉर्म : दुग्ध सहकारी समितियों में डिजिटल भुगतान, डेटा प्रबंधन और मोबाइल ऐप आधारित सेवाओं को प्रोत्साहन।
Dairy Sahakar Yojana से किसानों को मिलने वाले लाभ:
- दूध का न्यायसंगत मूल्य सुनिश्चित होता है, जिससे आय में स्थिरता आती है।
- दूध की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार के लिए आधुनिक तकनीक का लाभ मिलता है।
- गांवों में स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा होता है।
- महिलाओं को डेयरी प्रबंधन, विपणन और निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी का अवसर मिलता है।
- उत्पादों के निर्यात से किसानों की आय में अतिरिक्त वृद्धि संभव होती है।
Dairy Sahakar Yojana में आवेदन और लाभ उठाने की प्रक्रिया:
- इच्छुक किसान या समूह अपने नजदीकी सहकारी दूध संघ, डेयरी समिति या पशुपालन विभाग से संपर्क करें।
- निर्धारित फॉर्म में आवेदन के साथ आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पशुओं की जानकारी और सहकारी सदस्यता प्रमाण पत्र संलग्न करें।
- पात्रता की जांच के बाद NCDC या संबंधित राज्य संस्थान द्वारा वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण दिया जाता है।
- दूध की खरीद और भुगतान पूरी तरह पारदर्शी तरीके से डिजिटल माध्यम से किया जाता है।
Dairy Sahakar Yojana से जुड़े आंकड़े और लक्ष्य:
- सरकार ने इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये का कोष निर्धारित किया है।
- लक्ष्य है कि योजना की अवधि में सहकारी समितियों के माध्यम से 55 लाख से अधिक किसानों को जोड़ा जाए।
- विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अलग बजट और प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाए गए हैं।
Dairy Sahakar Yojana का महत्व:
भारत में दूध उत्पादन का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र से आता है। ऐसे में डेयरी सहकारी योजना छोटे किसानों को संगठित कर उन्हें बाजार, वित्त और तकनीक से जोड़ती है। यह योजना केवल दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि पनीर, घी, दही, मिठाइयों और अन्य दुग्ध उत्पादों के प्रसंस्करण व विपणन में भी सहयोग प्रदान करती है।
भविष्य की संभावनाएं:
डेयरी सहकार योजना के सफल क्रियान्वयन से भारत के दुग्ध उद्योग को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिल सकती है। सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को एक स्थिर और लाभकारी बाजार मिलेगा। साथ ही, गुणवत्ता सुधार और नवाचार के कारण भारतीय दुग्ध उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतर सकेंगे।
निष्कर्ष:
डेयरी सहकार योजना (Dairy Sahakar Yojana) किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने वाली पहल है। 31 अक्तूबर 2021 को शुरू हुई यह योजना डेयरी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने का सामर्थ्य रखती है। इससे न केवल दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, महिलाओं का सशक्तिकरण और किसानों की आय में स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।
👉 यदि आप पशुपालक या डेयरी व्यवसाय से जुड़े हैं, तो इस योजना का लाभ उठाकर अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाइए और “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार करने में योगदान दीजिए।
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