सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना Pandit Deendayal Upadhyay Antyodaya Yojana है।
सरकार ने गरीबी उन्मूलन और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएँ चलाई हैं। इन्हीं में से एक है पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना (DAY-NRLM और DAY-NULM), जो ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए स्वरोजगार और कौशल विकास का अवसर प्रदान करती है।
यह योजना 25 सितम्बर 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर शुरू की गई थी। इसे वर्ष 2015–16 में और सुदृढ़ किया गया तथा तब से इसका संचालन ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और शहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) के रूप में किया जा रहा है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना का नाम भारतीय जनसंघ के संस्थापक और महान विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर रखा गया है। उनका मानना था कि “विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना चाहिए”। इसी विचारधारा के आधार पर इस योजना को “अंत्योदय” नाम दिया गया।
Pandit Deendayal Upadhyay Antyodaya Yojana के मुख्य उद्देश्य:
- गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाना।
- ग्रामीण और शहरी गरीबों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना।
- महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (SHGs) के माध्यम से संगठित कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
- युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण देकर रोजगार दिलाना।
- गरीबों तक बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की आसान पहुँच सुनिश्चित करना।
- शहरी बेघर लोगों को आश्रय और सहूलियत उपलब्ध कराना।
Pandit Deendayal Upadhyay Antyodaya Yojana की प्रमुख विशेषताएँ:
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स्वयं सहायता समूह (SHG) का गठन:
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को संगठित करके SHG बनाए जाते हैं।
- इन समूहों के माध्यम से महिलाएँ बचत करती हैं और ऋण लेकर छोटे व्यवसाय शुरू करती हैं।
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कौशल विकास कार्यक्रम:
- युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगारोन्मुखी ट्रेनिंग दी जाती है।
- प्रशिक्षण के बाद उन्हें नौकरी या स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।
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वित्तीय सहायता और ऋण सुविधा:
- गरीबों को बैंकों से जोड़कर आसान शर्तों पर ऋण दिलाया जाता है।
- ब्याज दर कम रखी जाती है ताकि वे आसानी से व्यवसाय शुरू कर सकें।
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शहरी बेघरों के लिए आवास:
- शहरों में बेघर गरीबों के लिए “नाइट शेल्टर” और आवास सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
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महिलाओं का सशक्तिकरण:
- SHG और माइक्रो-फाइनेंस के जरिए महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है।
Pandit Deendayal Upadhyay Antyodaya Yojana से मिलने वाले लाभ:
- गरीबों को स्वरोजगार और व्यवसाय के अवसर।
- युवाओं को कौशल आधारित रोजगार।
- महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार।
- शहरी बेघर लोगों को रहने की सुविधा।
- ग्रामीण और शहरी गरीबों की बैंकिंग प्रणाली तक पहुँच आसान।
- छोटे उद्यम और स्वरोजगार के लिए कम ब्याज पर ऋण।
Pandit Deendayal Upadhyay Antyodaya Yojana के लिए पात्रता:
- आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए।
- परिवार गरीबी रेखा से नीचे (BPL) होना चाहिए।
- महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक वर्ग को प्राथमिकता दी जाती है।
- 18 से 45 वर्ष के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के अवसर दिए जाते हैं।
Pandit Deendayal Upadhyay Antyodaya Yojana के लिए आवेदन प्रक्रिया:
- इच्छुक उम्मीदवार को अपने ग्राम पंचायत, नगर निगम या संबंधित आजीविका मिशन कार्यालय में आवेदन करना होता है।
- आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज़ जमा करने होते हैं, जैसे –
- आधार कार्ड
- निवास प्रमाण पत्र
- आय प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट साइज फोटो
- बैंक खाता विवरण
- जाँच प्रक्रिया पूरी होने के बाद पात्र उम्मीदवारों को योजना से जोड़ा जाता है।
Pandit Deendayal Upadhyay Antyodaya Yojana का महत्व:
आज भी भारत की बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है। इस योजना से लाखों गरीब परिवारों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला है। विशेष रूप से महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू करके आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
यह योजना केवल गरीबी हटाने की नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ी पहल है।
निष्कर्ष:
पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, जो 25 सितम्बर 2014 को शुरू हुई थी, भारत सरकार की सबसे प्रभावशाली गरीबी उन्मूलन योजनाओं में से एक है। इसका लक्ष्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुँचाना है।
यह योजना न केवल गरीबों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर देती है, बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने की दिशा में भी आगे बढ़ाती है।
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