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Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission (SPMRM) क्या है: जानिए संपूर्ण जानकारी


सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना  Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission है।



भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और गाँवों में शहरी सुविधाएँ पहुँचाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने  Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission (SPMRM) की शुरुआत की। यह योजना 21 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी। इसका लक्ष्य है कि गाँवों को आर्थिक, सामाजिक और आधारभूत ढाँचे के लिहाज़ से इतना विकसित किया जाए कि लोग अपने गाँव में ही बेहतर जीवन स्तर प्राप्त कर सकें।

रूर्बन शब्द “Rural” और “Urban” के संयोजन से बना है। इसका अर्थ है – ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी जैसी सुविधाएँ प्रदान करना। इस मिशन के अंतर्गत उन क्लस्टर्स (ग्राम समूह) का चयन किया जाता है, जहाँ पहले से आर्थिक गतिविधियों की संभावना है। इन गाँवों को आधुनिक बुनियादी ढाँचे, कौशल विकास, आजीविका के अवसर और सामाजिक सेवाओं से जोड़ा जाता है।


SPMRM के मुख्य उद्देश्य:

  1. ग्रामीण इलाकों में शहरी स्तर की सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
  2. स्थानीय संसाधनों और संभावनाओं के आधार पर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना।
  3. युवाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार के अवसर तैयार करना।
  4. स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़कों और डिजिटल सेवाओं तक बेहतर पहुँच।
  5. गाँव से शहरों की ओर पलायन को कम करना।


SPMRM की प्रमुख विशेषताएँ:

  • क्लस्टर आधारित विकास: 15,000 से 25,000 की आबादी वाले गाँवों का समूह चुनकर योजनाबद्ध तरीके से विकास किया जाता है।
  • इंटीग्रेटेड प्लानिंग: कृषि, उद्योग, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में समन्वित योजना बनाई जाती है।
  • पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP): निजी क्षेत्र के सहयोग से इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं का विकास।
  • डिजिटल इंडिया के साथ तालमेल: इंटरनेट कनेक्टिविटी, ई-गवर्नेंस, डिजिटल भुगतान जैसी सेवाएँ बढ़ावा पाती हैं।


SPMRM  कार्यान्वयन की प्रक्रिया:

  1. क्लस्टर का चयन – राज्यों द्वारा संभावनाओं वाले ग्रामीण क्लस्टर्स की पहचान की जाती है।
  2. विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) – क्षेत्र की ज़रूरतों के आधार पर DPR तैयार की जाती है।
  3. फंडिंग – केंद्र और राज्य सरकार संयुक्त रूप से वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
  4. निगरानी और मूल्यांकन – प्रगति का समय-समय पर आकलन कर सुधार किए जाते हैं।


SPMRM के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाएँ:

  • अच्छी सड़कें, स्ट्रीट लाइट और स्वच्छ पेयजल।
  • स्वास्थ्य उपकेंद्र, एम्बुलेंस सेवा और पोषण कार्यक्रम।
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूलों में सुधार।
  • महिला सशक्तिकरण और स्वयं सहायता समूहों के लिए प्रशिक्षण।
  • सौर ऊर्जा, ठोस कचरा प्रबंधन और हरित क्षेत्र का विकास।
  • छोटे उद्योग, हस्तशिल्प और कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना।


SPMRM  की उपलब्धियाँ और प्रभाव:

  • अब तक देश के विभिन्न राज्यों में सैकड़ों क्लस्टर्स को विकसित किया जा चुका है।
  • ग्रामीण सड़कों और परिवहन सेवाओं में सुधार से किसानों को बाज़ार तक पहुँचने में आसानी हुई।
  • कौशल विकास कार्यक्रमों ने युवाओं को स्वरोज़गार के अवसर प्रदान किए।
  • स्वास्थ्य और स्वच्छता सेवाओं से ग्रामीणों का जीवन स्तर बेहतर हुआ।
  • डिजिटल सेवाओं के विस्तार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ी।


SPMRM की  चुनौतियाँ:

  • समय पर परियोजनाओं का पूरा न होना।
  • फंडिंग और समन्वय में बाधाएँ।
  • प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी।
  • कुछ क्षेत्रों में तकनीकी और डिजिटल अवसंरचना की कमी।


निष्कर्ष:

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन ग्रामीण भारत के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। यह न केवल गाँवों में बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं को मज़बूत करता है, बल्कि स्थानीय युवाओं को आजीविका के नए अवसर भी देता है। यदि योजनाओं को समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाए, तो यह मिशन “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगा।


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