सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना Gyan Bharatam Mission है।
भारत ज्ञान, संस्कृति और अध्यात्म की भूमि रहा है। हजारों वर्षों से यहां की ज्ञान-परंपरा पांडुलिपियों के रूप में संरक्षित रही — चाहे वह संस्कृत के वेद-उपनिषद हों, तमिल-तेलुगु की साहित्यिक रचनाएँ, चिकित्सा व ज्योतिष के ग्रंथ हों या मध्यकालीन इतिहास-संबंधी दस्तावेज़। समय के साथ-साथ इन अमूल्य ग्रंथों का बड़ा हिस्सा टूट-फूट, नमी और उपेक्षा के कारण नष्ट होता गया।
इसी विरासत को बचाने और आधुनिक तकनीक के जरिये आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 9 जून 2025 को “ज्ञान भारतम मिशन” शुरू किया । यह पहल न केवल पांडुलिपियों का संरक्षण करती है, बल्कि उन्हें डिजिटल स्वरूप देकर वैश्विक शोध समुदाय तक उपलब्ध कराती है।
Gyan Bharatam Mission का उद्देश्य:
ज्ञान भारतम मिशन की सोच स्पष्ट और दूरदर्शी है:
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भारत की प्राचीन पांडुलिपियों की खोज व सूचीकरण (Cataloguing)
देश के कोने-कोने में निजी पुस्तकालयों, मंदिरों, मठों, संग्रहालयों और विश्वविद्यालयों में बिखरी पांडुलिपियों को ढूँढना और उनका डेटा तैयार करना। -
संरक्षण और मरम्मत (Preservation & Restoration)
जिन ग्रंथों पर समय की मार पड़ी है, उन्हें वैज्ञानिक तरीके से सुरक्षित रखना, कीटाणु-नियंत्रण और मरम्मत करना। -
डिजिटाइजेशन और सार्वजनिक उपलब्धता
उच्च गुणवत्ता वाले स्कैन व फोटो के माध्यम से पांडुलिपियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड करना ताकि कोई भी शोधार्थी या सामान्य पाठक आसानी से देख-पढ़ सके। -
शोध एवं शिक्षा में उपयोग
इतिहास, भाषा, विज्ञान, चिकित्सा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में नये शोध-अवसर उपलब्ध कराना। -
तकनीकी नवाचार का समावेश
AI-आधारित टेक्स्ट-रिकग्निशन, बहुभाषी अनुवाद और ऑनलाइन रिपोजिटरी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग।
पृष्ठभूमि और विकास यात्रा:
2003 में शुरू हुआ राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) इस दिशा में पहला बड़ा प्रयास था। हालांकि सीमित संसाधनों और धीमी प्रगति के कारण इसकी पहुँच सीमित रही।
“ज्ञान भारतम मिशन” उसी कार्य को नए दृष्टिकोण और पर्याप्त बजट के साथ आगे बढ़ाता है।
सरकार ने इसे 2024–31 तक चलाने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए सैकड़ों करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
अब तक लाखों पांडुलिपियों की पहचान की जा चुकी है और उन्हें ‘कृति सम्पदा’ डिजिटल रिपोजिटरी में दर्ज किया गया है। आने वाले वर्षों में करोड़ों पृष्ठ डिजिटाइज कर सुरक्षित किए जाएंगे।
Gyan Bharatam Mission की प्रमुख विशेषताएँ:
- राष्ट्रीय स्तर की योजना: यह एक केंद्रीय क्षेत्र (Central Sector) योजना है, जिसमें राज्यों, विश्वविद्यालयों और निजी संग्रहकर्ताओं को साझेदार बनाया गया है।
- विशेष पोर्टल: इसके लिए अलग डिजिटल पोर्टल बनाया गया है, जहाँ पंजीकरण, डेटा-अपलोड और शोधकर्ताओं के लिए खोज-सुविधा उपलब्ध है।
- स्थल सर्वेक्षण दल: देशभर में टीम भेजकर मंदिरों, गुरुकुलों और निजी संग्रहों में छिपी दुर्लभ पांडुलिपियों की खोज की जा रही है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: विदेशों में संरक्षित भारतीय पांडुलिपियों को भी इस मिशन के दायरे में लाने की कोशिश हो रही है।
- सार्वजनिक भागीदारी: निजी संग्राहकों को प्रोत्साहन और पहचान देने की व्यवस्था ताकि वे अपने पास रखी पांडुलिपियाँ साझा करें।
Gyan Bharatam Mission के लाभ:
क्रमांक | लाभ | विवरण |
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1 | संस्कृति का संरक्षण | लुप्त होती ज्ञान-धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजना। |
2 | शोध को बढ़ावा | मूल ग्रंथ ऑनलाइन उपलब्ध होने से शोध में नई खोजें होंगी। |
3 | शिक्षा में उपयोगिता | छात्र-छात्राओं को भारतीय सभ्यता के मूल स्रोत पढ़ने का अवसर मिलेगा। |
4 | तकनीकी विकास | OCR, डिजिटल आर्काइविंग और अनुवाद तकनीक को नई दिशा मिलेगी। |
5 | रोज़गार सृजन | संरक्षण विशेषज्ञ, तकनीशियन, शोधकर्ता व डेटा प्रबंधक के लिए रोजगार अवसर। |
Gyan Bharatam Mission में आने वाली चुनौतियाँ:
- पांडुलिपियों की नाजुक स्थिति – कई ग्रंथ इतने पुराने हैं कि छूते ही टूटने लगते हैं।
- विविध भाषाएँ व लिपियाँ – शारदा, ब्राह्मी, पाली, फारसी जैसी पुरानी लिपियों को पढ़ना कठिन।
- तकनीकी विशेषज्ञों की कमी – बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित संरक्षक और डिजिटल तकनीशियन चाहिए।
- निजी संग्रहकर्ताओं का सहयोग – कई लोग निजी कारणों से पांडुलिपियाँ साझा नहीं करना चाहते।
- दीर्घकालिक वित्तीय आवश्यकता – इतने विशाल प्रोजेक्ट को वर्षों तक स्थायी धन चाहिए।
समाधान
- संरक्षण व डिजिटाइजेशन के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
- मानकीकृत प्रोटोकॉल बनाना ताकि पूरे देश में एक समान तरीके से पांडुलिपियाँ सुरक्षित हों।
- निजी संग्रहकर्ताओं को कानूनी सुरक्षा और प्रोत्साहन देना।
- पब्लिक–प्राइवेट पार्टनरशिप के ज़रिये अतिरिक्त फंड और तकनीक जुटाना।
- नियमित ऑडिट और पारदर्शिता ताकि बजट का दुरुपयोग न हो।
निष्कर्ष:
ज्ञान भारतम मिशन केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति और ज्ञान परंपरा के पुनर्जागरण का अभियान है। जब करोड़ों पृष्ठ ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, तो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया हमारे वैज्ञानिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक योगदानों को समझ सकेगी।
यदि यह मिशन सफल रहा तो आने वाले समय में भारत डिजिटल युग में ‘ज्ञान की विश्वगुरु परंपरा’ को नए रूप में स्थापित कर पाएगा।
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