सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना Gyan Bharatam Mission है।
भारत की अर्थव्यवस्था की नींव कृषि पर टिकी है। आज भी देश की आधी से अधिक आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है, लेकिन बदलते मौसम, तकनीकी कमी, सीमित संसाधन और बाजार तक पहुंच न होने के कारण किसान अपनी मेहनत का उचित मूल्य नहीं पा पाते। इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (Pradhan Mantri Dhan Dhanya Krishi Yojana) की शुरुआत की है। यह योजना सिर्फ फसल उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों की आय, भंडारण, सिंचाई, आधुनिक तकनीक और ग्रामीण बुनियादी ढांचे में सुधार की दिशा में एक व्यापक पहल है।
Pradhan Mantri Dhan Dhanya Krishi Yojana की झलक:
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को जुलाई 2025 में कैबिनेट की मंजूरी मिली। यह छह वर्षों तक लागू रहेगी और शुरुआत में देश के 100 पिछड़े जिलों को इसके दायरे में शामिल किया गया है। इन जिलों का चयन उनकी कृषि उत्पादकता, संसाधनों की कमी और विकास की ज़रूरत को देखते हुए किया गया।
केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 24,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष आवंटित किए हैं। खास बात यह है कि इसके तहत 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं को आपस में जोड़कर संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाएगा।
Pradhan Mantri Dhan Dhanya Krishi Yojana के मुख्य उद्देश्य:
प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना का मकसद केवल अनाज उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कृषि को टिकाऊ और लाभदायक बनाने पर केंद्रित है। इसके कुछ प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
- कृषि उपज में वृद्धि – बेहतर बीज, आधुनिक खेती तकनीक, गुणवत्तापूर्ण खाद और उन्नत मशीनरी का उपयोग बढ़ावा देना।
- फसल विविधीकरण – गेहूं-धान पर निर्भरता कम कर दलहन, तिलहन, बागवानी और नकदी फसलों को बढ़ावा देना।
- कटाई के बाद भंडारण – गांव और ब्लॉक स्तर पर गोदाम, कोल्ड-स्टोरेज और सूखागार जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना ताकि फसल की बर्बादी घटे।
- सिंचाई और जल प्रबंधन – माइक्रो-इरिगेशन और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देकर पानी की कमी वाले इलाकों में खेती को टिकाऊ बनाना।
- किसानों को वित्तीय सहायता – छोटे और सीमांत किसानों को आसान ऋण और सब्सिडी उपलब्ध कराना।
- कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियों का विकास – पशुपालन, मधुमक्खी-पालन, मत्स्य-पालन और खाद्य प्रसंस्करण को जोड़कर किसानों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर बढ़ाना।
किसे मिलेगा लाभ:
यह योजना विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास सीमित भूमि और संसाधन हैं। अनुमान है कि इस योजना का सीधा लाभ करीब 1.7 करोड़ किसानों तक पहुंचेगा।
हर राज्य से कम-से-कम एक पिछड़ा जिला इस योजना में शामिल किया जाएगा। इन जिलों में जिला धन-धान्य समिति बनाई जाएगी, जिसमें स्थानीय अधिकारी, प्रगतिशील किसान और विशेषज्ञ शामिल रहेंगे। यही समिति जिले की ज़रूरतों के हिसाब से योजना तैयार और लागू करेगी।
Pradhan Mantri Dhan Dhanya Krishi Yojana की खासियत:
प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना की सबसे बड़ी विशेषता है “कन्वर्जेन्स मॉडल”। इसके तहत विभिन्न विभागों की योजनाओं को एक छतरी के नीचे लाकर एक ही दिशा में काम किया जाएगा। इससे संसाधनों की बर्बादी रुकेगी और योजनाओं का लाभ सीधे किसान तक पहुंचेगा।
- गांव स्तर पर कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश होगा।
- किसानों के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी।
- निजी क्षेत्र, स्वयं सहायता समूह और कृषि विश्वविद्यालयों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
किसानों के लिए संभावित फायदे:
- आय में वृद्धि: कटाई के बाद नुकसान कम होगा और बाजार में बेहतर दाम मिलेंगे।
- कम लागत वाली खेती: आधुनिक तकनीक और सामूहिक संसाधन साझा करने से उत्पादन लागत घटेगी।
- नई फसलों के अवसर: विविधीकरण से किसान सिर्फ धान-गेहूं पर निर्भर नहीं रहेंगे।
- रोज़गार सृजन: खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और परिवहन में नए रोजगार के अवसर मिलेंगे।
- ग्रामीण विकास: गोदाम, सड़क, बिजली और सिंचाई ढांचे के विकास से गांवों की समग्र प्रगति होगी।
चुनौतियां:
हालांकि योजना महत्वाकांक्षी है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए कुछ चुनौतियों से निपटना जरूरी होगा:
- कई जिलों में बुनियादी ढांचे की कमी और खराब सड़कों की वजह से किसानों तक मदद पहुंचाना कठिन हो सकता है।
- किसानों को नई तकनीक अपनाने के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
- फंड के समय पर वितरण और पारदर्शिता सुनिश्चित करना भी बड़ी चुनौती होगी।
- विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बनाए रखना जरूरी होगा, ताकि कार्य में देरी न हो।
Pradhan Mantri Dhan Dhanya Krishi Yojana का भविष्य और प्रभाव:
अगर यह योजना सही तरीके से लागू होती है तो:
- भारत के पिछड़े जिलों में कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
- फसल-बर्बादी घटने से किसानों की आमदनी में 20-25% तक की वृद्धि संभव है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि-आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।
- यह पहल जलवायु-स्मार्ट और टिकाऊ खेती की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना भारत के किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण है। यह न केवल अनाज उत्पादन बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि किसानों की जीवन-शैली सुधारने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक समग्र पहल है। यदि सरकार, किसान और स्थानीय संस्थाएं मिलकर इस योजना को लागू करते हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत की कृषि व्यवस्था अधिक समृद्ध, टिकाऊ और आत्मनिर्भर बन सकती है।
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