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"Make in India" Yojana क्या है : जानिए संपूर्ण जानकारी



सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना "make in India" Yojana है।
"मेक इन इंडिया" (Make in India) भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर 2014 को की थी। इस अभियान का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) केंद्र बनाना है और देश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। इस योजना के माध्यम से भारत सरकार ने देश और विदेश के निवेशकों को भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए आकर्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।


"Make in India" Yojana का उद्देश्य:

"मेक इन इंडिया" योजना के मुख्य उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना: भारत के GDP में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान अपेक्षाकृत कम है। इस योजना का लक्ष्य इस योगदान को 16-17% से बढ़ाकर 25% करना है।
  2. रोजगार सृजन: योजना का मकसद युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
  3. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को आकर्षित करना: भारत में विदेशी कंपनियों को निवेश करने के लिए आकर्षित किया जा रहा है ताकि तकनीक और पूंजी का आगमन हो।
  4. व्यवसाय करना आसान बनाना (Ease of Doing Business): व्यापारिक प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और तेज बनाना।


"Make in India" Yojana की प्रमुख विशेषताएं:

  1. 25 प्रमुख क्षेत्रों का चयन: योजना की शुरुआत में सरकार ने 25 प्रमुख क्षेत्रों को चिन्हित किया जिनमें निवेश को प्रोत्साहित किया गया, जैसे - ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उत्पादन, फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल, रेलवे, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, आईटी आदि।

  2. FDI नीति में सुधार: कई क्षेत्रों में सरकार ने 100% विदेशी निवेश की अनुमति दी। उदाहरण के लिए, रक्षा क्षेत्र में 74% तक FDI को ऑटोमैटिक रूट के तहत मंजूरी दी गई।

  3. ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस सुधार: लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाया गया, एकल खिड़की प्रणाली (Single Window Clearance) लागू की गई, राज्य स्तर पर भी सुधारों को प्रोत्साहित किया गया।

  4. डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया से समन्वय: "मेक इन इंडिया" योजना को अन्य अभियानों जैसे "डिजिटल इंडिया", "स्किल इंडिया", और "स्टार्टअप इंडिया" से जोड़ा गया, जिससे एक समन्वित विकास सुनिश्चित हो सके।


"Make in India" Yojana के अंतर्गत प्राप्त सफलताएँ:

  1. FDI में बढ़ोतरी: 2014 के बाद भारत में FDI प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। भारत एशिया में चीन के बाद सबसे बड़ा निवेश गंतव्य बन गया।
  2. रोजगार के अवसर: कई क्षेत्रों में नई फैक्ट्रियों और उद्योगों की स्थापना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार बढ़ा।
  3. स्वदेशी उत्पादन को बल: मोबाइल निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण जैसे क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। उदाहरण के लिए, पहले भारत में मोबाइल निर्माण नगण्य था, लेकिन अब भारत मोबाइल फोन निर्माण का एक वैश्विक केंद्र बन चुका है।
  4. नवाचार और तकनीक का विकास: विभिन्न भारतीय स्टार्टअप्स और उद्योगों ने नई तकनीकों और नवाचारों को अपनाया है, जिससे भारत में अनुसंधान और विकास का वातावरण मजबूत हुआ।


प्रमुख उदाहरण:

  1. मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग: कंपनियां जैसे Xiaomi, Samsung, Oppo, Vivo आदि ने भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित कीं।
  2. डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग: HAL, DRDO आदि संस्थानों को निजी कंपनियों के साथ साझेदारी की अनुमति मिली और रक्षा उपकरणों का स्वदेशीकरण बढ़ा।
  3. ऑटोमोबाइल सेक्टर: भारत आज एशिया के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल निर्माण केंद्रों में से एक बन चुका है।


"Make in India" Yojana की चुनौतियाँ:

  1. बुनियादी ढांचे की कमी: कई क्षेत्रों में बिजली, परिवहन और लॉजिस्टिक्स की कमी से उत्पादन लागत अधिक होती है।
  2. नौकरी सृजन की गति धीमी: योजना के बावजूद भी अपेक्षाकृत कम संख्या में प्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न हुए हैं।
  3. नवाचार और अनुसंधान में निवेश कम: अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में रिसर्च और इनोवेशन में निवेश सीमित है।
  4. नीति कार्यान्वयन में अंतर: कुछ राज्यों में नीति का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाया, जिससे असंतुलन बना।


"Make ine India" Yojana में किए जाने वाले उपाय:

"मेक इन इंडिया" को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित उपायों की आवश्यकता है:

  1. इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाना: अच्छी सड़कें, बंदरगाह, एयरपोर्ट, बिजली आपूर्ति को और बेहतर बनाना।
  2. कौशल विकास: युवाओं को आधुनिक तकनीकों की ट्रेनिंग देकर उन्हें उद्योगों के लिए तैयार करना।
  3. नीतिगत स्थिरता: निवेशकों को दीर्घकालिक स्थिरता का भरोसा देना ताकि वे भारत में लंबी अवधि के लिए निवेश करें।
  4. नई तकनीकों को अपनाना: AI, IoT, रोबोटिक्स जैसी तकनीकों को अपनाकर प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना।

योजना निष्कर्ष:

"मेक इन इंडिया" एक दूरदर्शी योजना है, जिसका लक्ष्य भारत को विश्व मैन्युफैक्चरिंग मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाना है। यद्यपि अभी भी कुछ चुनौतियाँ हैं, परंतु यदि इन पर ध्यान दिया जाए और योजनाओं को सही दिशा में कार्यान्वित किया जाए, तो "मेक इन इंडिया" भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। यह अभियान न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और रणनीतिक रूप से भी भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


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