सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना AMRUT Yojana है।
भारत की बढ़ती शहरी आबादी और तेजी से बदलती जीवनशैली ने शहरों में आधारभूत सुविधाओं पर भारी दबाव डाला है। साफ पानी, सीवरेज सिस्टम, हरित क्षेत्र और यातायात प्रबंधन जैसी समस्याएँ लगातार चुनौती बनती जा रही हैं। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार ने अमृत योजना (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation - AMRUT) की शुरुआत 25 जून 2015 को की। यह योजना देश के 500 से अधिक शहरों को बेहतर बुनियादी ढांचा और आधुनिक सुविधाएँ देने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है।
AMRUT Yojana का उद्देश्य:
अमृत योजना का मुख्य मकसद शहरी क्षेत्रों में लोगों को बेहतर जीवन स्तर उपलब्ध कराना है। इसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- जल आपूर्ति की सुविधा – हर घर तक नल से स्वच्छ और सुरक्षित पानी पहुँचाना।
- सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम – शहरों में सीवरेज और स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज नेटवर्क को मजबूत बनाना।
- हरित क्षेत्र का विकास – पार्क, उद्यान और खुले स्थान विकसित करना ताकि प्रदूषण कम हो और लोग स्वस्थ जीवन जी सकें।
- सार्वजनिक यातायात और पैदल मार्ग – सुरक्षित फुटपाथ, साइकिल ट्रैक और सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करना।
- शहरी निकायों की क्षमता निर्माण – नगर निकायों को मजबूत बनाना और आधुनिक तकनीक (ई-गवर्नेंस, डिजिटल मॉनिटरिंग) का उपयोग करना।
AMRUT 2.0: योजना का दूसरा चरण:
अमृत योजना का दूसरा चरण, जिसे AMRUT 2.0 कहा जाता है, अक्टूबर 2021 में शुरू किया गया। यह 2025-26 तक लागू रहेगा। इस चरण में:
- योजना का दायरा 500 शहरों से बढ़ाकर लगभग 4,900 कस्बों और नगरों तक कर दिया गया।
- जल चक्र अर्थव्यवस्था (Water Circular Economy) पर जोर दिया गया।
- वर्षा जल संचयन और जल निकायों के पुनर्जीवन को प्राथमिकता दी गई।
- डिजिटलीकरण और स्मार्ट टेक्नोलॉजी (जैसे SCADA सिस्टम) के माध्यम से जलापूर्ति और सीवरेज की निगरानी।
- हर नागरिक को “पानी का अधिकार” सुनिश्चित करना।
AMRUT Yojana की उपलब्धियाँ:
- जल आपूर्ति में सुधार – कई शहरों में घर-घर नल से जल पहुँचाने का कार्य पूरा हुआ।
- सीवरेज नेटवर्क का विस्तार – पहले जहाँ गंदे पानी की निकासी एक समस्या थी, अब सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण से स्थिति बेहतर हुई।
- हरित शहरों का विकास – हजारों पार्क और ग्रीन एरिया विकसित हुए, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला।
- महिलाओं को राहत – अब दूर-दराज से पानी लाने की ज़रूरत नहीं, जिससे महिलाओं का समय और श्रम बच रहा है।
- डिजिटल सेवाओं का विस्तार – पानी और टैक्स जैसी सेवाओं में ई-गवर्नेंस लागू हुआ, जिससे पारदर्शिता बढ़ी।
AMRUT Yojana से जुड़ी चुनौतियाँ:
- धीमी प्रगति – कुछ राज्यों में परियोजनाएँ समय पर पूरी नहीं हो पाई हैं।
- वित्तीय सीमाएँ – पर्याप्त धन की कमी और अन्य योजनाओं के साथ ओवरलैप के कारण बाधाएँ आईं।
- स्थानीय निकायों की क्षमता – कई नगर निकायों में तकनीकी और मानव संसाधन की कमी।
- प्रदूषण पर सीमित ध्यान – वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों को योजना में उतना महत्व नहीं मिला।
भविष्य की राह और संभावनाएँ:
- जन-सहभागिता – नागरिकों को योजना से जोड़ना और उनकी राय लेना।
- प्रकृति आधारित समाधान – वर्षा जल संचयन, प्राकृतिक ड्रेनेज और तालाबों का संरक्षण।
- PPP मॉडल – सार्वजनिक-निजी भागीदारी से निवेश और नवाचार को बढ़ावा देना।
- सस्टेनेबल डेवलपमेंट – हरियाली, स्वच्छ ऊर्जा और वेस्ट मैनेजमेंट पर फोकस।
निष्कर्ष:
अमृत योजना भारत के शहरों को नई पहचान देने वाली एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसने जलापूर्ति, सीवरेज, हरित क्षेत्र और शहरी सेवाओं में बड़ा बदलाव किया है। AMRUT 2.0 ने इसे और व्यापक बनाते हुए छोटे कस्बों तक पहुँचाने का कार्य शुरू किया है। चुनौतियाँ अभी भी हैं, लेकिन यदि सरकार, स्थानीय निकाय और नागरिक मिलकर काम करें तो अमृत योजना भारत के शहरी विकास की रीढ़ साबित हो सकती है।
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