सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना Bhartiya Bhasha Pustak Yojana है।
भारत विविध भाषाओं का देश है — जहाँ हर कुछ किलोमीटर पर भाषा, बोली और उच्चारण बदल जाते हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाना एक चुनौती बन जाता है। इसी चुनौती को अवसर में बदलने के लिए केंद्र सरकार ने शुरू की है — “भारतीय भाषा पुस्तक योजना (Bhartiya Bhasha Pustak Yojana)”।
यह योजना छात्रों को भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाली डिजिटल पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने का उद्देश्य रखती है। आइए जानते हैं — इस योजना की शुरुआत कब हुई, इसका उद्देश्य क्या है, और यह भारत की शिक्षा प्रणाली में कैसे बदलाव ला सकती है।
भारतीय भाषा पुस्तक योजना की शुरुआत केंद्रीय बजट 2025-26 के दौरान हुई।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को संसद में बजट भाषण के दौरान इसकी घोषणा की।
उन्होंने बताया कि यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के “मातृभाषा में शिक्षा” सिद्धांत को धरातल पर उतारने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस योजना को शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) द्वारा लागू किया जा रहा है, और इसके संचालन की जिम्मेदारी भारतीय भाषा प्रोत्साहन समिति (Bhartiya Bhasha Samiti) तथा UGC (University Grants Commission) को सौंपी गई है।
सरकार ने स्पष्ट किया कि इस योजना के तहत स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक की किताबें भारतीय भाषाओं में डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध कराई जाएँगी — ताकि हर विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सके।
Bhartiya Bhasha Pustak Yojana का उद्देश्य:
-
भाषाई समानता स्थापित करना
भारत जैसे बहुभाषी देश में शिक्षा का माध्यम अक्सर अंग्रेजी या हिंदी तक सीमित रहता है। यह योजना छात्रों को उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराकर भाषा आधारित असमानता को दूर करने का प्रयास है। -
NEP 2020 के लक्ष्यों को पूरा करना
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट कहा गया है कि शिक्षा का प्रारंभिक माध्यम मातृभाषा होना चाहिए। यह योजना उसी दिशा में एक ठोस कदम है। -
डिजिटल और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना
डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी ताकि देश के किसी भी कोने में रहने वाला छात्र समान अवसर पा सके। -
भाषाई विविधता का संरक्षण
भारत की कई भाषाएँ विलुप्ति के कगार पर हैं। यह योजना उन भाषाओं को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी।
Bhartiya Bhasha Pustak Yojana की प्रमुख विशेषताएँ:
-
22 भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें
पहले चरण में संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भारतीय भाषाओं में किताबें तैयार की जा रही हैं — जैसे हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, मराठी, गुजराती, उड़िया, उर्दू, कन्नड़, असमिया आदि। -
डिजिटल माध्यम से उपलब्धता
सभी पुस्तकें e-books, PDF, ऑडियो और इंटरैक्टिव डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध कराई जाएँगी, ताकि छात्र मोबाइल या कंप्यूटर के माध्यम से उन्हें पढ़ सकें। -
मूल लेखन और अनुवाद दोनों
इस योजना में केवल अनुवाद नहीं, बल्कि मूल लेखन पर भी जोर दिया गया है ताकि भाषा की भावनात्मक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति बनी रहे। -
AI और तकनीक का प्रयोग
किताबों के अनुवाद और संपादन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित उपकरणों का उपयोग किया जाएगा ताकि सामग्री की गुणवत्ता और सटीकता सुनिश्चित हो सके। -
राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म से एकीकरण
इन पुस्तकों को सरकारी शैक्षिक प्लेटफॉर्म जैसे DIKSHA, e-PG Pathshala और National Digital Library से जोड़ा जाएगा।
Bhartiya Bhasha Pustak Yojana के लाभ:
-
छात्रों को अपनी भाषा में बेहतर समझ
जब छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ते हैं, तो वे विषयों को गहराई से समझते हैं और स्मरण शक्ति भी बेहतर होती है। -
ग्रामीण छात्रों के लिए बड़ा अवसर
जिन छात्रों के लिए अंग्रेजी माध्यम की किताबें मुश्किल होती हैं, उन्हें अपनी भाषा में गुणवत्तापूर्ण सामग्री मिलेगी। -
शिक्षा में समानता और समावेशन
यह योजना सामाजिक, आर्थिक और भाषाई स्तर पर शिक्षा में बराबरी का अवसर देती है। -
रोज़गार और भाषा विशेषज्ञों की मांग
किताबें लिखने, संपादन, अनुवाद और डिज़ाइन के लिए नए रोजगार अवसर खुलेंगे। -
भाषाई पहचान और गौरव में वृद्धि
मातृभाषा में अध्ययन करने से छात्र अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति गर्व महसूस करेंगे।
Bhartiya Bhasha Pustak Yojana चुनौतियाँ:
- भाषाई शब्दावली की कमी: कई तकनीकी विषयों में भारतीय भाषाओं के शब्द अभी विकसित नहीं हैं।
- गुणवत्ता सुनिश्चित करना: अनुवादित पुस्तकों में विषय की सटीकता बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी।
- डिजिटल पहुँच की समस्या: दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट और उपकरणों की कमी अभी भी बाधा बन सकती है।
- समय और संसाधनों की आवश्यकता: 22 भाषाओं में एक साथ किताबें तैयार करना बड़ा कार्य है, जिसके लिए विशेषज्ञों और संसाधनों की जरूरत होगी।
भविष्य की संभावनाएँ:
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले तीन वर्षों में लगभग 20,000 से अधिक पुस्तकें भारतीय भाषाओं में तैयार की जाएँ।
इसके बाद योजना को अन्य भाषाओं और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों तक भी विस्तारित किया जाएगा।
साथ ही, विद्यार्थियों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया के आधार पर सामग्री को लगातार अद्यतन किया जाएगा।
यह योजना केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि भारत की भाषाई आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक बनेगी।
निष्कर्ष:
भारतीय भाषा पुस्तक योजना की शुरुआत 1 फरवरी 2025 को बजट 2025-26 के दौरान हुई, और यह भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।
इस योजना के माध्यम से सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है — हर भारतीय छात्र को उसकी अपनी भाषा में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करना।
यह कदम न केवल छात्रों की सीखने की क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि भारत की समृद्ध भाषाई विरासत को भी नई पहचान देगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें